Saturday, April 18, 2015

जाने कब से सोया नहीं हूँ मैं, आकर मुझे सुला दो माँ

जाने कब से सोया नहीं हूँ मैं, आकर मुझे सुला दो माँ, आकर मेरे पास मुझे फिर से लोरियाँ सुना दो माँ,
आंसू मेरी आँखों में जम से गए हैं, भर के दिल मेरा मुझे अब रुला दो माँ,
भूखा हूँ मैं तेरे प्यार भरे निवाले का, अपने  हाथों से एक निवाला खिला दो माँ
कैसे कैसे दर्द देके दुनिया रुलाने लगी है,  मुझे आँचल में लेके मुझे  इनसे  निजात दिला दो माँ
कोई नहीं है मेरा ये एहसास दिलाने लगी है दुनिया, थामकर हाथ अपने होने का  एहसास दिला दो माँ..

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